तमिलनाडु में मरते किसान और विधायकों के बढ़ते वेतन

 पिछले तीन दिन से तमिलनाडु के किसान फिर से जंतर मंतर पर हैं और आत्महत्या कर चुके किसानों के कंकाल के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन इनका कोई नहीं सुन रहा। केंद्र की सरकार अपने में मस्त है तो तामिलनाडु की सरकार को किसानो से कोई लेना देना नहीं। लगता है इस लोकतंत्र की गजब कहानी है। लगता है कि इस लोकतंत्र में सब अपना ही है और कभी भ्रम होता है कि यहाँ अपना कोई नहीं। यहाँ हर कुछ राजनीति है और राजनीति ही सबसे ऊपर है। ये बाते इसलिए कही जा रही है कि तमिलनाडु सरकार आत्महत्या कर चुके परिजनों के कंकाल के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों की नहीं सुन रहे हैं लेकिन  विधायकों की सैलरी में 100 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी है। मौत से जूझते किसानो की दशा से सरकार को भला क्या लेना देना। लेकिन जब मिलजुलकर अपनी आय बढ़ाने की बाते सामने आती है सारे विरोधी स्वर एकाकार होकर किसानो की बेवसी पर परिहास ही करते हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी ने विधायकों की सैलरी बढ़ाने की घोषणा कर दी है। अब राज्य के विधायकों को 55,000 की जगह 1,05,000 रुपये का वेतन मिलेगा। इसके अलावा राज्य सरकार ने विधायकों को मिलने वाले क्षेत्रीय विकास फंड को भी बढ़ाकर 2 करोड़ से 2.6 करोड़ रुपये कर दिया है। सैलरी के अतिरिक्त विधायकों की पेंशन राशि में भी बढ़ा दी है। अब पूर्व विधायकों को 12000 रुपये की जगह 20000 रुपये पेंशन मिलेगी। मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने तमिलनाडु विधानसभा में यह घोषणा की है।
आपको बता दें कि तमिलनाडु के किसान  पिछले कुछ महीने से तमिलनाडु से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन कर रहे हैं।  40 दिन धरना देने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने किसानों को आश्वासन दिया था कि वे किसानों की समस्याएं दूर करेंगे। लगातार आत्महत्याओं के मद्देनजर किसानों की मांग है कि उनके कर्ज माफ किए जाएं। फसलों के उचित मूल्य दिलाए जाएं। सिंचााई की उचित व्यवस्था हो. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अप्रैल में किसानों से मुलाकात करके वादा किया था कि वे किसानों की मांग पर ध्यान देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तमिलनाडु में पिछले 140 सालों में सबसे खराब सूखा पड़ा है। पिछले चार महीने में करीब 400 किसानों ने खुदकुशी कर ली है।

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