यशोदा के वियोग और प्रियंका के बीयर


Baba Vijayendra
कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पार्टी की चिंता कम प्रियंका की चिंता ज्यादा हो गयी है। कमजोर हो रही पार्टी के लोगों ने प्रियंका को मजबूत करने के लिए आज सड़क पर उत्तर आये। सुब्रह्मण्यम स्वामी के आवास पर दिल्ली कांग्रेस ने जबर्दश्त प्रदर्शन कर अपना उत्साह दिखाया। कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाने का अभ्यास करती दिखी। स्वामी ने प्रियंका गांधी पर दारू पीने का आरोप लगाया। प्रदर्शन के बाद स्वामी ने कहा की प्रियंका को आगे आकर घोषणा करनी चाहिए की वह धुम्रपान और मदिरापान छोड़ रही है।
दरअसल यह चुनाव यशोदा के वियोग और प्रियंका की बीयर और वाईन के इर्द गिर्द नाचने लगा है। कांग्रेस ने मोदी के दाम्पत्य जीवन को मुद्दा बनाया तो भाजपा ने प्रियंका के दारूबाजी को विषय बना लिया। लूटेरी बहु,लूटेरा दामाद,शराबी बेटी और पप्पू बेटा ऐसे शब्द भाजपा मन्त्र की तरह उच्चारित करती रही। कांग्रेस के ' वलिदानी परिवार ' को भाजपा ' बदनाम परिवार ' घोषित कर देने में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती।वैसे स्वामी तो भाजपा के आरोप सेल के अध्यक्ष ही है? जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं स्वामी। स्वामी अकेले ही स्वामी रहे इस पार्टी के। भाजपा को इन्हे पचाने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई। सुब्रह्मण्यम स्वामी चन्द्रा स्वामी की संस्था के अध्यक्ष भी हैं। स्वामी के भी किस्से कहानियां कम नहीं है। प्रियंका गांधी या अन्य कांग्रेसियों को इसे दिल पर नहीं लेना चाहिए। कौन स्वामी की बातों पर भरोसा करता है? कांग्रेस को इसे लाईट में लेना चाहिए। इस विषय पर गंभीर होने की जरूरत ही नहीं थी ?
वैसे यह चुनाव खाने-पीने के नाम से शुरू हुआ। मोदी वोटर को चाय पिलाते रहे और राहुल रागा - थाली परोसते रहे। मांस मछली खाने और खिलाने का भी दौर चला।

प्रियंका गांधी को नशा करते इस देश ने कभी नहीं देखा। देश की यह जरूरत भी नहीं थी। देश तो सत्ता का नशा ,पद का नशा और पैसा का नशा देख देख कर दुबलाता रहा । भाजपा का नशा ऐसा की सरकार बनने से पहले ही बहकने लगी है। सत्ता के नशे में भाजपा बड़बड़ाने लगी है। अपने दुश्मनों को जेल भेज देने की धमकी भी देने लगी है। जनता भी मदहोशी में है। पिछला सारा दुःख भूल चुकी है। ग्लैमर का नशा इतना की आने वाला भारत दिख ही नहीं रहा है। 16 मई के बाद देश का नशा उतरना तय है।
स्वामी किसी को कुछ भी कह सकते हैं। कल भूख से लडखडाती जनता को भी कहेंगे की यह पी कर आया है। भूख से दुबली होती काया को भी डायटिंग कह डालेंगें।
वह परिस्थिति आने ही वाली है। आखिर इस चुनाव में लग रही कार्पोरेट कैपिटल की वसूली कैसे होगी ? अभी देश में कांग्रेस बदलने का नशा है । पर जिसको लाना है उनके गुणधर्म को जांचने और जानने का वक्त नहीं है अभी देश के पास। सबकुछ बेहोशी में हो रहा है

दारूबाजी और देहबाजी में दोनों दल दूध का धुला नहीं है। भाजपा मर्यादित पार्टी है इसलिए मर्यादा में ही मदिरा लेती है। तो भाई प्रियंका गांधी कौन सी मर्यादा तोड़ दी जो इतनी आफत आ गयी । स्वर्ग में भोग होता है सृजन नहीं। और सृजन में शराब कहाँ बाधक है? देवता इसलिए सुर कहलाये की वो सूरा पीते थे और असुर वही थे जो सूरा नहीं पीते थे। पर देवता समाज के लिए कुछ किया या नहीं ? आज हम गुणगान नहीं करते हैं उनका ? मुझे शराबी प्रियंका भी अच्छी लगती जब वह परिवार के ऊपर लूट के आरोप को धो डालती। पति को लूट के मार्ग पर जाने से रोक देती। देश को डाक्टर के चरित्र की नहीं बेहतर डायग्नोसिस की जरूरत है। शराब तो मनमोहन सिंह भी शायद नहीं पीते हैं। ईमानदार और अच्छे भी रहे हैं। पर इस सदगुणी प्रधानमंत्री ने देश का कितना गुणा बर्वाद किया यह हमलोगों के सामने है। स्वामी के सवाल अक्सर वाहियात ही होते हैं। प्रियंका गांधी पर लगाया गया आरोप उसी की एक कड़ी है। सार्वजनिक जीवन में शुचिता जरूरी है पर संकट का समाधान साथ साथ हो तो सोने पे सुहागा। जिस दल के पूर्ववर्ती नायक को सार्वजनिक रूप से चुम्बन लेने पर पुरस्कार मिलता हो वहां शराब जैसी चीज तो जीवन का हिस्सा है। बस इस चुनाव में ' वाइनिंग इंडिया ' और ' शाइनिंग इंडिया ' का मजा लें, पर होश के साथ।

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