कांग्रेस का बेहतर दामाद कौन ? फिरोज या बाड्रा

Wadra

Firoj Gandhi


Baba Vijayendra

कांग्रेस में राजा का बहुत ही महत्व है चाहे वह ए राजा हो या जमाई राजा रोबर्ट बाड्रा जिसमे से एक जेल हो आये हैं और दूसरा जेल जाने वाले हैं। उमा भारती का बयान आया है कि मोदी अगर प्रधानमंत्री बने तो कांग्रेस के जमाई राजा जेल में होंगें। ए राजा जेल जा सकते हैं तो जमाई राजा क्यों नहीं ? मेरा सम्बन्ध मिथिला से है जहाँ जमाई का मतलब भगवान होता है । शायद ' दामादी -खातिर' शब्द यहीं बना होगा। दामाद की इतनी इज्जत थी जिसके लिए पूरा गाँव एक पैर पर खड़ा रहता था। परन्तु कांग्रेस के ई दमदबा ने बेड़ा गर्क कर रखा है। रोबर्ट बाड्रा पीतल को असली सोना बताकर नेहरू परिवार की बहु सोनिया गांधी को ठगने का काम किया। मुरादाबाद में पीतल का सामान बेचते बेचते प्रियंका तक पहुँच गए और उसके बाद क्या हुआ उसके बारें में अरविंद केजरीवाल और अशोक खेमका से जाकर पूछ सकते हैं। जमीन हड़पने और अकूत सम्पदा बनाने में रोबर्ट का कोई जोड़ नहीं रहा। बाबा रामदेव ने तो सोनिया गांधी को भी लूटेरी बहू कह दिया था। सास और दामाद की जबर्दश्त जोड़ी बन गयी है। अब तो ' बारु ' का बारूद भी विस्फोट कर चुका है कि किस तरह देश के प्रधानमंत्री को मुख्यकार्यपालक बनाकर रखा गया । शायद बारू की किताब आपने पढ़ा ही होगा। यह बारु भाजपा का कोई बयानवीर नेता नहीं है जिसपर विपक्ष होने का आरोप लगा सकते हैं यह उन्ही प्रधानमंत्री कार्यालय के सचिव रहे हैं जिन्होंने अपनी किताब में सोनिया गांधी का असली चेहरा उजागर किया है।
वैसे दामाद तो कुंवारे अटल बिहारी वाजपेयी के भी थे। रंजन भट्टाचार्य पर भी बहुत आरोप लगे थे पर बाड्रा जैसा नहीं बन पाये।
वैसे दामाद का मतलब रोबर्ट बाड्रा नहीं होता है। कांग्रेस के दामाद तो फिरोज गांधी भी थे। फिरोज कांग्रेस के महान दामाद साबित हुए है जिन्होंने ससूर को अक्सर संकट में डालने का कार्य किया था । फिरोज गांधी नेहरू के दामाद अवश्य थे पर उनके रहमोकरम पर जिन्दा नहीं थे न ही उनकी राजनीति नेहरू के ग्लैमर और ताकत पर टिकी थी। इस दामाद के पास भ्रष्टाचार के खिलाफ आग थी।इसी दामाद ने पहली दफा सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ हल्ला बोला था। राम कृष्ण डालमिया जैसे बड़े उद्योगपति के साथ भ्रष्टाचार में शामिल कांग्रेस के खिलाफ फिरोज ने बगावत की थी। बीमा उद्योग के निजीकरण का काम फिरोज के कारण ही शुरू हो पाया। हरीदास मुन्द्रा को तत्कालीन वित्त मंत्री टी टी कृष्णामाचारी ने गैरकानूनी तरीके से फायदा पहुँचाने का काम किया था जिसका पर्दाफाश फिरोज जैसे दामाद ने किया था। मेनन पर हुई कार्यवाई में नेहरू के दामाद की ही भूमिका थी। फिरोज खांटी समाजवादी थे। लोहिया की बड़ी इज्जत करते थे। जमाई के खिलाफ नाई और महारानी के खिलाफ नौकरानी को चुनाव लड़वाने की घोषणा लोहिया ने की थी। उस जमाई ने आदर्श प्रस्तुत करते हुए अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार को भी सम्मान देते थे। फिरोज अपने चुनाव प्रचार के दौरान अपने विपक्षी उम्मीदवार को भी अपनी ही गाड़ी में बिठा लाते थे और उनके घर तक पहुंचाते थे। रोबर्ट तो ' पितरिया दामाद ' है उसे सोना कहना ठीक नहीं है वह आया ही था प्रियंका के बहाने लूट को अंजाम देने के लिए। सासू माँ के पास भी शायद नैतिकता नहीं रही होगी जिस कारण इस लूटेरे दामाद को काबू में नहीं रख सकी होगी?
इस लिए दामाद को गरियाने के नाम पर सभी दामादों की तौहीन नहीं की जाए। वैसे नेताओं को अभी बेटा और बेटी पर ही भरोसा है। मीसा भी है और सुप्रिया सूले भी पर दामाद यहाँ गायब है। सोनिया गांधी सब देख समझ रही होंगी पर विवश होंगी या फिर शागिर्द रही होंगी। मोदी की पगलपंथी ऐसी है कि कही सासू माँ के लिए भी कोई महिला बैरक न बना दे । उमा भारती का बयान अभी दामाद तक ही है सास तक नहीं पहुंचा है। वैसे इंदिरा गांधी भी तो जेल हो ही आयी है। हो सकता है सोनिया उस विरासत को सम्हाल लें ? और सोनिया भी जेल हो लें ? भला हो कांग्रेस का और इसके दामादवाद का।

No comments:

Post a Comment

INSTAGRAM FEED

@soratemplates