क्या कहूँ जय हो कांग्रेस या क्षय हो कांग्रेस ?



Baba Vijayendra
  चुनाव अब अंतिम चरण में है। अबतक के संपन्न चुनाव से रुझान स्पष्ट होने लगे हैं। कांग्रेस की विदाई के संकेत स्पष्ट दिखने लगे हैं। अब चर्चा इतनी है कि भाजपा अपने दावे के अनुसार परफॉर्म करती है या फिर सहयोगियों की तलाश करेगी । कौन स्वभाविक मित्र होगा इस पर चर्चा जारी है। कांग्रेस निरंतर हारी हुई पार्टी की तरह व्यवहार कर रही है। कांग्रेस पहली दफा मुद्दा विहीन दिख रही है। खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली स्थिति हो गयी है। कांग्रेस चुनाव परिणाम के बाद होने वाले संभावित खतरे से अनजान नहीं है। उमा भारती ने बाड्रा को जेल भेजने की धमकी दे चुकी है। यद्यपि कांग्रेस के दामाद के प्रति दुर्भावना से काम नहीं करने की बात मोदी ने दुहराया है। पर बात बिगड़ती जा रही है जो कांग्रेस की सेहत के लिए ठीक नहीं है।
अब विपक्ष से कांग्रेस नहीं मर रही है वल्कि अपने ही अंतर्विरोध का शिकार हो रही है। मनमोहन सिंह के मातहत अधिकारी ही कांग्रेस के कुकर्मों का खुलासा कर रहे हैं। त्याग की कथित प्रतिमूर्ति सोनिया गांधी की नकारा छवि सामने आ गयी है। यह मूर्तिभंजन या विश्वासघात का मामला नहीं है। देश के लोकतंत्र के साथ हुए घोर मजाक का मामला है। भारत की राजनीति में संघ की सियासत को नयी जमीन कांग्रेस ने मुहैया करायी है। यह भाजपा की लहर नहीं वल्कि कांग्रेस द्वारा जम्हूरियत में फैलाये जहर का असर है। देश के आम लोग जो अमनचैन में विश्वास करते हैं वे आज मोदी की रॉबिनहुड पॉलिटिक्स को स्वीकार करने को अभिशप्त हैं। मुसलमान किंकर्तव्यविमूढ़ हैं की मोदी अब उनके विरोध से भी नहीं रुकने वाले हैं। मोदी अगर मुसलमान के लिए नियति बन गए हैं तो इसके गुनहगार केवल कांग्रेस और उसकी काली करतूते हैं। काश कांग्रेस मुसलमान या इस देश के आम आवाम को आदमी समझी होती।कांग्रेस ने हमेशा उल्लू बनाने के सिवा कोई कार्य नहीं किया । हमेशा लोगों के भीतर के गुस्से को समझने के बजाय डैमेज कंट्रोल में लगी रही।
सीडी, सीबीआई और साम्प्रदायिकता के खेल से देश आजिज आ चुका है। मोदी को घेरने के लिए वाजपेयी का सहारा लिया। वाजपेयी के बयान पर जिन्दा होने के बजाय कांग्रेस को अपने ही बयान ,व्यवहार,विचार और विकास पर भरोसा करना चाहिए। पता नहीं पप्पू नेता के कौन से पप्पू सलाहकार है जो उल्टी सीधी सलाह देकर कांग्रेस की दुर्गति करा देने पर तुले हैं। उमा भारती ने मोदी के खिलाफ में बयान दिया होगा की मोदी नाकाम, निर्मम और निकम्मे हैं। जब उमा भारती आज मोदी की शरणागत हो गयी है तो फिर इनके बयान के शरण में जाने की क्या जरूरत है ? उमा भारती की सीडी को प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस के लद्धड़ आईटी स्टाफ दिखा ही नहीं पाये। फिर दूसरी दफा सीडी दिखने की कोशिश की गयी और कांग्रेस के इस मरे प्रोजेक्ट के प्रणेता बने अभिषेक मनु सिंघवी जो स्वयं सीडी संसार के शहंशाह रहे हैं। इस सीडी कांफेरेंस में मीडिया उमा भारती पर कम ध्यान लगाया और सिंघवी के सेक्स सीडी का ज्यादा। यह भी फेल हो गया।
वाल स्ट्रीट के खुलासा से कांग्रेस पेशोपेश में है कि वह दल को बचाये या दामाद को ? भागते भूत की लंगोटी सही। कांग्रेस अरविंद पर भी दाव लगा सकती है। विल्कुल नकारात्मक राजनीती की तरफ कांग्रेस बढ़ चली है। न स्वयं जीतना चाहती है न ही मोदी को जीतने देना चाहती है। कांग्रेस नयी नयी आशा पाल लेती है कि हर्षवर्धन की तरह मोदी को रोकने के लिए अरविंद को आगे कर देने की परिस्थिति बन जाय।
जनता आजिज आ चुकी है कांग्रेस के इस कारनामे से। देश की बड़ी आबादी मोदी की मुखालफत करना चाहती है पर कांग्रेस है की मानती ही नहीं। मोदी जीत के प्रति आश्वस्त ही नहीं अघाये हुए दिख रहे हैं। एक नए प्रकार का वैराग्य भी मोदी के जीवन में आ गया है। अचानक हार और परास्त हो जाने की बात करने लगे हैं। अब तो गंगा का पानी बहुत बह चूका है। हम किसी भवितव्य को स्वीकारने को तैयार हो रहे है। क्या कहूँ जय हो कांग्रेस या क्षय हो कांग्रेस ?

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